दिनेश प्रसाद मिश्रा
शाहाबाद हरदोई पूर्ति निरीक्षक के बगल खड़ा गुप्तगू करता आखिर यह पूर्ति कार्यालय या तहसील कर्मी है जो पूर्ति कार्यालय का वास बना रहता है।यह भी महाशय है जो राशन कार्ड फीडिंग कराने और शिकायतों की बकायदा जांच भी करते हैं।इनसे पूर्ति निरीक्षक को आखिर क्या लाभ है जो ऐसे लोगों को आफिस का अहम हिस्सा बना दिया है।सूत्रों की माने तो यह प्राइवेट व्यक्ति लगभग 2 दशक से पूर्ति कार्यालय में इसी तरह कार्य करता चला आ रहा है।जबकि सरकार के बड़े अधिकारी चौड़े से कहते हैं कि उनके दफ्तरों में कोई भी प्राइवेट व्यक्ति काम नही करता है।फिर आखिर पूर्ति निरीक्षक के सामने ऐसी क्या मजबूरी है जो ऐसे लोगों को आफिस में रखकर कार्य कराते हैं।
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