सड़को पर चलने वाले हजारों वाहनों में कई खराब फिटनेस वाली खटारा गाड़ियां चलती हैं। इन खटारा गाड़ियों से हादसे होते हैं। वाहनों की फिटनेस जांच परिवहन विभाग में होता है। जहां पर 21 मानकों पर गाड़ी की फिटनेस की जांच होती है। इसमें गाड़ी कहीं लड़ी तो नहीं, टायर सही है या नहीं, रेट्रो रिफलेक्टेड टेप, नंबर प्लेट, वाइपर, ब्रेक, इंजन की हालत जैसे मानकों पर मैनुअली जांच की जाती है। इसमें परिवहन विभाग के अधिकारी गाड़ी की हालत देखकर उसकी फिटनेस बताते हैं। अब गाड़ियों के फिटनेस की जांच के लिए लालगंज के चितांग में आटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) बनाया गया है। डेढ़ साल पहले ममता हाइजिन कंपनी ने इसका निर्माण शुरू किया था। लगभग तीन करोड़ की लागत से यह बनकर तैयार हुआ। इसमें एक करोड़ 70 लाख की सिर्फ मशीन है। 12 मई को लखनऊ से परिवहन विभाग की टीम आकर एटीएस की जांच करेगी। इसके बाद इसका संचालन शुरू हो जाएगा।
बढ़ जाएगी वाहनो के जांच की संख्या
अभी परिवहन विभाग में प्रतिदिन 15 वाहनों की फिटनेस जांच की जाती है। ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन शुरु होने के बाद फिटनेस जांच करने वाले वाहनों की संख्या भी बढ़ेगी। एआरटीओ प्रशासन संतोष सिंह ने बताया कि अभी नोटिस भेजकर और प्रवर्तन टीम द्वारा फिटनेस फेल में पकड़े जाने पर जो वाहन आते है। उनकी जांच होती है। नए वाहन को छह साल तक हर दो साल बाद और छह साल पुराने वाहन को हर साल फिटनेस की जांच करानी होती है।
वाहनों का फिटनेस टेस्ट अभी परिवहन कार्यालय में अधिकारियों के द्वारा फिटनेस जांच की जाती है। अब एटीएस बन जाने से मशीनों से फिटनेस जांच होगी। इसमें लगी मशीन वाहनों की उच्च गुणवत्ता में जांच करेंगी। इससे सड़क पर पूरी तरह फिट वाहन चलेंगे।
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